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प्र वो॑ र॒यिं यु॒क्ताश्वं॑ भरध्वं रा॒य एषेऽव॑से दधीत॒ धीः। सु॒शेव॒ एवै॑रौशि॒जस्य॒ होता॒ ये व॒ एवा॑ मरुतस्तु॒राणा॑म् ॥५॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

pra vo rayiṁ yuktāśvam bharadhvaṁ rāya eṣe vase dadhīta dhīḥ | suśeva evair auśijasya hotā ye va evā marutas turāṇām ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

प्र। वः॒। र॒यिम्। यु॒क्तऽअ॑श्वम्। भ॒र॒ध्व॒म्। रा॒यः। एषे॑। अव॑से। द॒धी॒त॒। धीः। सु॒ऽशेवः॑। एवैः॑। औ॒शि॒जस्य॑। होता॑। ये। वः॒। एवाः॑। म॒रु॒तः॒। तु॒राणा॑म् ॥५॥

ऋग्वेद » मण्डल:5» सूक्त:41» मन्त्र:5 | अष्टक:4» अध्याय:2» वर्ग:13» मन्त्र:5 | मण्डल:5» अनुवाक:3» मन्त्र:5


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (मरुतः) मनुष्यो ! आप लोग (धीः) बुद्धियों को (दधीत) धारण करो और (वः) आप लोगों के लिये अर्थात् आप अपने लिये (युक्ताश्वम्) युक्त घोड़े जिससे उस (रयिम्) धन को (प्र, भरध्वम्) अत्यन्त धारण करो। तथा (अवसे) रक्षण आदि के लिये (एषे) प्राप्त होने को (सुशेवः) सुन्दर सुख से युक्त जन (एवैः) गमनों से (औशिजस्य) कामना करनेवाले सन्तान का और (रायः) धनों का (होता) देनेवाला होता है और (ये) जो (वः) आप लोगों के (तुराणाम्) नाश करनेवालों के नाश करनेवाले (एवाः) और कामना करनेवाले हैं, उनका आप लोग सत्कार करो ॥५॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्यो ! आप लोग अग्नि आदि पदार्थों की विद्या से धनवान् होकर सत्यता से सब अनाथों का पालन करो और दुष्टों का ताड़न करो ॥५॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

हे मरुतो मनुष्या ! यूयं धीर्दधीत वो युक्ताश्वं रयिं प्रभरध्वम्। अवस एषे सुशेव एवैरौशिजस्य रायः होता भवति ये वस्तुराणां हिंसका एवाः सन्ति तान् यूयं सत्कुरुत ॥५॥

पदार्थान्वयभाषाः - (प्र) (वः) युष्मभ्यम् (रयिम्) धनम् (युक्ताश्वम्) युक्ता अश्वा येन तत् (भरध्वम्) (रायः) धनानि (एषे) एतुं प्राप्तुम् (अवसे) रक्षणाद्याय (दधीत) धरत (धीः) प्रज्ञाः (सुशेवः) शोभनं सुखं यस्य सः (एवैः) प्रापणैः (औशिजस्य) कामयमानस्यापत्यस्य (होता) (ये) (वः) युष्माकम् (एवाः) कामयमानाः (मरुतः) मनुष्याः (तुराणाम्) हिंसकानाम् ॥५॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्या ! यूयमग्न्यादिपदार्थविद्यया श्रीमन्तो भूत्वा सत्यतयाऽनाथान् सर्वान् पालयत दुष्टान् ताडयत ॥५॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे माणसांनो! तुम्ही अग्नी इत्यादी पदार्थविद्येने धनवान बनून सत्याने वागून सर्व अनाथांचे पालन करा व दुष्टांचे ताडन करा. ॥ ५ ॥